दोस्ती अक्सर हमारा दिल करता है के एक कश्ती हो और हम उसमे सवार होकर कहीं दूर निकल जाए, और आज हम इस पोस्ट में आपके सामने बेजोड़ Kashti Shayari पेश कर रहे हैं, जिन्हे पढ़ने में के बाद आपकी कश्ती शायरी को ढूंढने की खोज यहाँ आकर ठहर जायेगी क्योकि हमने बोहोतो कठिन प्रयास के बाद ये अनमोल कश्ती पर शायरिया लिखी हैं
अक्सर कश्ती शायरी जिसे नाव शायरी भी कहा जाता है वह हमारे दिल को सुकून देती है क्योकि शायरों के लिए कश्ती जैसे सब्द का इस्तेमाल करना बेहद आम है यह शब्द किसी भी शायर को सुनने वाले को ख़ुशी देता है चलिए देर ना करते हुए यह Kashti Shayari Hindi इमेज के साथ पढ़ते हैं
Best Kashti Shayari Hindi Mein | Kashti Quotes
बड़ी उलझन में हैं कश्तियां सारी,
रहना भी समंदर में है, लड़ना भी समंदर से है…!
मुश्किलें मुझको मिटाने पर तुली हैं,
और दुआएं हैं की बचाने पर तुली हैं,दिल लगा है गम छुपाने में सारे,
और आंखे हैं की सब बताने पर तुली हैंमैं अकेला ही निकला था तूफा से लड़ने,
मेरी कश्ती को आंधी डुबाने पर तुली हैं…!
किसी साहिल के भी अब हमको सहारे नही मिलते,
कश्तियां डूबती रहती हैं किनारे नही मिलते,बोहोत अच्छे थे वो दिन बचपन के यारो,
अब जवानी में ऐसे नजारे नही मिलते !!!
डूबने वाला हु थोड़ा सा सहारा चाहिए,
मेरी टूटी हुई कश्ती को किनारा चाहिए,ढूंढ ही लूंगा तुझे भी ठोकरें खाते हुए
मैं किधर जाऊं बस हल्का सा इशारा चाहिए !!!
मेरी कश्ती में कई कीमती सामान भी थे
वो फकत आईने नही थे मेरी जान भी थेइस एक ज़िद पे ज़मी ने निगल लिया मुझको
मेरी आंखों में सितारे थे आसमान भी थे
जिसने तुम्हे चाहा नही, मांगा नही,
उसे तुम मिल जाओ ये इंसाफ थोड़ी है,
जिन्हे रातों में नींद नही आती उन्ही को मालूम है,
सुबह होने में कितने ज़माने लगते है,कश्तियां डूबने लगती है जब किनारे पर आकर,
तो सब अपनी अपनी जान बचाने लगते ही…!
मैं जिम्मेदारियां में उलझा सख्श मेरी राजा क्या होगी,
क़ातिल मैं खुद की ख्वाहिशों का मेरी सजा क्या होगी…!
Boat Quotes in Hindi
सुना है जिंदगी इम्तिहान लेती है,
यहां तो इम्तिहान ने पूरी जिंदगी ले ली…!
मुझे कागज़ की कश्ती में बिठाकर,
वो खुद बारिश का पानी हो गया…!
मुझे मालूम है दरिया निगल जायेगा कश्ती मेरी,
मगर कुछ ख्वाहिसे है जो किस्मत आजमाने को कहती है…!
उस एक सख्श से रूठ जाने को कहती है,
मेरी कश्ती यहां डूब जाने को कहती है…!
2 Line Kashti Shayari
आजका दिन बहुत अजीब था,
ना जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया…!
मैं वो कश्ती हु जिसका कोई किनारा ना हुआ,
सभी का हो गया मैं कोई हमारा ना हुआ…!
हमारे मन की कश्ती यूं डूबती ना,
अगर वो हसीन मुझसे रूठती ना…!
कश्ती वही है बस दरिया बदल गया है,
तलाश आज भी उन्ही की है बस नजरिया बदल गया है,ना शक्ल बदली ना अक्ल बदली,
बस लोगो को देखने का नजरिया बदल गया है…!
वो सख्श आज जो कश्ती को डुबाने में लगा है,
उसने बेताब मुहब्बत भी किनारो से की थी…!
तेरी और मेरी चाहत की इतनी कहानी है,
एक टूटी हुई कश्ती है और पार लगानी है…!
तुम ठहरो,
आज वक्त को जाने दो…!
मैं कश्ती में अकेला तो नही हु,
मिरा हमराज दरिया जा रहा है
उदास फिरता है अब मोहल्ले में बारिश का पानी,
कश्ती बनाने वाले बच्चे मोबाइल से इश्क कर बैठे…!
तूफान भी हार जाते हैं वहां,
जहां कश्तियां ज़िद पर उतर जाती है…!
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