Akbar Birbal ki Kahani & Stories in Hindi | अकबर बीरबल की कहानी हिंदी में

अकबर और बीरबल की कहानियाँ हमें बहुत सारे संदर्भ और मनोरंजन प्रदान करती हैं। ये Akbar birbal ki Kahani न केवल हास्यप्रद हैं, बल्कि समाज, धर्म, नैतिकता और ज्ञान के विषयों से भी गहनता से निपटती हैं। नीचे हिंदी में अकबर और बीरबल की 5 कहानियां हैं इनमे मनोरंजन और सामाजिक विज्ञान दोनों को दर्शाया गया है.

Akbar aur Birbal ki Kahani हमें संस्कार देती है, जीवन के सबसे आम सवालों के जवाब देती है और जीवन परिदृश्य में विभिन्न अनुभवों का आनंद लेने देती है। हमें कहानियाँ सुनने में न केवल आनंद आता है, बल्कि हम उनसे सीखते भी हैं। तो चलिए इन 5 Akbar Birbal ki प्रमुख Kahaniyo को पढ़कर एक नए ज्ञान से सीख लेते हैं.

Akbar Birbal ki Kahani in hindi अकबर-बीरबल की कहानियां हिंदी में

akbar birbal ki kahani in hindi
akbar birbal ki kahani –badshah bhi naukar hai, Story1

बादशाह भी नौकर है – Akbar Birbal Stories in Hindi Naukar,1

बेलापुर गांव मैं एक महेश नाम का कुम्हार रहता था। वह मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता था । एक दिन बादशाह अकबर उस कुम्हार के घर के बाहर से जा रहे थे। उन्होंने उसकी कला को देखा और बोले तुम इतने सुंदर बर्तन कैसे बना लेते हो । कुम्हार बोला महाराज ये सब तो ऊपर वाले का दिया हुनर है । जिस से में अपने परिवार का पेट भर सकू । मुझको परमात्मा ने यह उपहार दिया है। यह बाद सुनकर बादशाह अकबर बोले मैं तुम्हारा राजा हूं। और मेरा काम तुम सबकी हर जरूरत पूरी करना है।

जो की मै करता हू तुम फिर भी ऊपर वाले का सुक्रिया अदा कर रहे हो। क्या तुम मुझको एक अच्छा राजा नही मानते हो । कुम्हार बोला नही महाराज आपका स्थान भी हमारे दिल में है लेकिन ऊपर वाला ईश्वर हम सब से बड़ा है । और वह हम सब का ध्यान रखता है। कुम्हार की यह बात सुनकर बादशाह अकबर ने तुरंत बीरबल को बुलाया और बोले बीरबल क्या मैं ऊपर वाले ईश्वर से कम दयावान हू अपनी प्रजा का उससे ज्यादा ध्यान नहीं रखता हू। वह तो ऊपर रहता है ।

और मैं यही सबके साथ रहता हू फिर भी सब लोग उसको महान बताते है। अपनी प्रजा को खाने के लिए राशन पानी में देता हू । रहने के लिए घर यहाँ तक की पाहन्ने के लिए कपड़े भी मे ही देता हू। फिर भी मुझको लोग यही बोलते है की तुम ऊपर वाले के फरिश्ते हो । बादशाह अकबर की यह बात सुनकर बीरबल बोला ।महाराज आप ऊपर वाले परमात्मा के नौकर है । जैसे मैं और सब दरबारी आपका आदेश मानते है, आप के नौकर है ।

इसी तरह आप ऊपर वाले के नौकर और हमारे फरिश्ते हो। फरिश्ते का काम ऊपर वाले परमात्मा का दिया आदेश पूरा करना होता है।जैसे आप हम सब की जरूरतों की पूर्ति करते हो । इस लिए ऊपर वाले ने तुमको इतना धनवान बनाया है। जिससे तुम हम सब का पेट भर सको ।इसलिए लोग ऊपर वाले का गुणगान करते है ।

की उनको ऊपर वाले ने एक अच्छा और प्रजा का कल्याण करने वाला राजा प्रदान किया है।बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर ने । तुरंत उस कुम्हार को बुलाया और उसको ईनाम दिया । तुमने आज मेरी आंखे खोल दी । मै तो अपने आप को सबका पालनहार समझता था । लेकिन आज बीरबल की बातो से मेरी आंखे खुल गई। की हम सब उस परमात्मा के नौकर है । सबकी किस्मत की डोर उसके हाथ मै है…!

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akbar birbal ki kahani – birbal ki bakri aur aam, Story2

बीरबल की बकरी और आम – Akbar Birbal Ki Kahani bakri, 2

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को याद किया । सभी दरबारी राजदरबार में बैठे हुए थे। लेकिन बीरबल वहा मौजूद नही थे । काफी देर इंतजार करने के बाद जब बीरबल नही आया तो । अकबर ने एक दरबारी को बीरबल के घर पर भेजा । और कहा जाओ तुम बीरबल को बुला कर लेकर आओ । उससे कहना हमने उसको याद किया है। जब दरबारी बीरबल के घर पर पहुंचा तो उसने देखा । बीरबल एक बकरी के बालो की गिनती कर रहा था । दरबारी वहा जाकर बोला तुमको महाराज ने याद किया है । तुम अति सिघ्र मेरे साथ अभी के अभी चलो । दरबारी की बात सुनकर बीरबल तुम महाराज से जाकर कहना आज में एक बहुत जरूरी काम में व्यस्त हूं।

इसलिए मुझको आज दरबार मे आने का समय नहीं मिल सकेगा । बीरबल की बात सुनकर वह दरबारी राजदरबार को वापस लौट आया । और बादशाह अकबर से आ कर बताया कि महाराज जब मै बीरबल के घर पर गया था। तो बीरबल एक बकरी के बालो की गिनती कर रहा था । मैने बीरबल से कहा की तुमको बादशाह सलामत ने याद किया है, तुम अभी के अभी मेरे साथ दरबार चलो । तो उसने मुझ से कहा । अभी मै एक जरूरी काम कर रहा हूं । आज मैं दरबार मे नही आ सकता । दरबारी की यह बात सुनकर बादशाह अकबर बोले ।

आज बीरबल को ये क्या हो गया है । ऐसी उट पटांग हरकत क्यो कर रहा है । बीरबल ने दरबारी से कहा चलो आज हम ही चल कर देखते है। आखिर बीरबल को क्या हो गया है । जो एक बकरी के बालो की गिनती कर रहा है। अकबर बीरबल के घर पहुच गया । तो देखा बीरबल बकरी को पकड़े हुए थे । और उसके एक एक बाल की गिनती कर रहे थे। अकबर ने बीरबल से पूछा ये सब तुम क्या कर रहे हो। तो इस पर बीरबल बोला महाराज मै इस बकरी के बालो की गिनती इसलिए कर रहा हू जिस से मुझको यह पता लग जाए की आसमान में तारों की संख्या ज्यादा है । या फिर इस बकरी के बालो की ।

बादशाह अकबर बोले लेकिन तुमको तारो की गिनती और बकरी के बालो की गिनती करने से क्या लाभ है। तारे संख्या में कितने भी हो रोशनी तो अकेला चांद ही करता है । जो तारे बड़े और चमकीले नजर आते हैं केवल उन्ही पर लोगो की नजर जाती है। और वो उन्ही को देख कर खुशी का अनुभव करते है । बाकी और छोटे छोटे तरो को देखने में अपना समय बर्बाद नही किया करते जैसे तुम कर रहे हो। आज तुमने बकरी के बालो की गिनती करके अपनी मूर्खता का पूरा प्रमाण दे दिया है । मै तो तुमको सबसे ज्याद बुद्धिमान और कुशल समझता था।

अकबर की इस बात को सुनकर बीरबल बोला महाराज आपकी बात तो बिलकुल ठीक है। लेकिन एक दिन जब मैं आपके लिए दरबार मे आम लेकर आया था । तब आपने मुझसे अनेक सवाल पूछे थे । की ये आम किस किस्म का हैं इसमें मिठास है या नहीं । इसको डाली से तोड़कर लाए थे या पाल लगाकर पकाया था । जब की वो आम बहुत ही। सुंदर और रसीला था ।

आपको आम खाना चाहिए था। या पेड़ गिनने थे। बीरबल की बात सुनकर अकबर हसने लगा और बोला बीरबल तुम्हारी बातों का कोई तोड़ नही है । उसी दिन से यह कहावत शुरू हो गई । की आम खाओ पेड़ मत गिनो । तभी से ये कहावत प्रचलित हो गई ।

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akbar birbal ki kahani – akbar birbal ka insaaf, Story3

अकबर बीरबल का इंसाफ – Akbar birbal ki Kahani insaaf, 3

बादशाह अकबर के दरबार मे सभी दरबारी बैठे हुए थे। तभी बाहर से एक औरत रोते रोते दरबार में आती है । और कहती है। महाराज मुझको इंसाफ चाहिए। अकबर ने पूछा बताओ तुम्हारे साथ क्या हुआ है । जिसने भी तुमको परेशान किया है । तुम उसका नाम बताओ । हम उसको कड़ी से कड़ी सजा देंगे । वह औरत बोली महाराज मैं एक बहुत ही गरीब परिवार से हूं । मेरा पति ज्यादा पढ़ा लिखा नही है । वो मजदूरी कर के मेरा और मेरे बच्चो का पेट भरता है। लेकिन एक दिन अचानक मेरी तबियत बिगड़ी गई । और मेरा पति मुझको डॉक्टर के पास लेकर गया ।

डॉक्टर ने जांच की और बोला तुम्हारी पत्नी का ऑपरेशन करना पड़ेगा । मेरे पति ने पूछा क्यों डॉक्टर साहब इसको क्या हुआ । जो आप ऑपरेशन करने को कह रहे है । डॉक्टर ने बताया तुम्हारी पत्नी के पेट में एक फोड़ा है । जिसको हम ऑपरेशन करके बाहर निकल देंगे । उसके बाद तुम्हारी पत्नी स्वस्थ हो जायेगी । जैसे तैसे करके मेरे पति ने पैसों का इंतजाम किया और मेरा ऑपरेशन कराया। ऑपरेशन के कुछ महीनो बाद मैं स्वस्थ हो गई। उसके बाद मैने सोचा क्यों ना मैं भी अपने पति के साथ घर खर्च चलाने में उनका हाथ बटाऊं ।

मैने अपने पति से कहा अगर आप अनुमति दे तो मै भी अपने लिए कोई नौकरी देख लेती हूं । मेरा पति बोला ठीक बात तो तुम सही कह रही हो l लेकिन तुम नौकरी कहा करोगी मैने कहा मेरी एक सहेली दफ़्तर में काम करती है उसने मुझको बताया है वहा एक जगह खाली है । मुझको वहा नौकरी मिल जाएगी । फिर मेरे पति ने कहा लेकिन तुम वहा जाएगी कैसे । पहले मैं कुछ देर तक सोचती रही फिर बोली यहां से तागा जाता हैं । मै उसी से चली जाया करूंगी। मेरा पति बोला ठीक है । जैसे तुमको सही लगे ।


कुछ समय बाद जब हमने अपना मकान बदला और हम दूसरी जगह पर आ गए । तो वहा से दफ्तर मैं जाने के लिए कोई सवारी नही चलती थी । फिर मैने सोच विचार किया तो मुझको याद आया उसी दफ्तर में जो बाबू काम करते थे वो हमारे मकान के सामने से होकर ही गुजरते थे। मैने अपने पति से कहा आप कहे तो मैं इन बाबूजी के साथ दफ्तर चली जाया करू। मेरे पति ने कहा हा क्यों नही तुम इनसे बात कर लेना । अगर इनको कोई आपत्ति न हो । तो तुम चले जाना ।

मैने बाबू जी से बताया बाबूजी हमारे। मकान से दफ्तर आने के लिए कोई भी सवारी नही चलती है कृपया आप मुझको अपने स्कूटर पर बैठा कर दफ्तर लेकर आ सकते है । बाबूजी बोले ठीक है बेटा तुम कल से मेरे साथ ही आ जाया करना । उस दिन के बाद से मैं बाबूजी के साथ दफ्तर जाने लगी ।लेकिन चार दिन के बाद पड़ोस के सभी लोग मुझको ताने देने लगे ।

तरह तरह की बाते बनाने लगे । देखो इसको दूसरे मर्दों के साथ घूमते फिरती है। अब मैं लोगो की बाते सुन सुन कर परेशान हो चुकी हूं । अब आप ही बताओ मै क्या करू । यह बात सुनकर बादशाह अकबर सोच मे पड़ गए । अब इसका क्या समाधान किया जाए । एक व्यक्ति हो तो सजा भी दू लेकिन इतने सारे लोगो को न तो कोई सजा सुनाई जा सकती है और न ही कुछ और तरकीब मेरे पास है ।

जिससे तुम्हारी समस्या का समाधान किया जा सके। फिर अकबर ने बीरबल से पूछा बीरबल तुम इस औरत की समस्या का समाधान करो । बीरबल बोला महाराज इस समस्या का तो एक ही साधारण सा समाधान है । लोगो की किसी भी बात पर ध्यान न दिया जाए । क्योंकि लोगो का काम ही दूसरो को बाते बनाना है। जब हम कोई काम नहीं करेंगे भूखे मरेंगे तब भी बोलेंगे ।

की देखो इसको कमा कर खाना बस्की नही हैं । और यदि करेंगे तब भी बोलेंगे । की इसको देखो आसमान में उड़ रहा है । इसलिए वो काम करो जिससे परिवार वालो को ऐतराज ना हो । और जिस काम को करके तुमको आत्मगिलानी ना हो । और हमको दो वक्त की रोटी मिल जाए…!

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akbar birbal kahani – birbal aur akbar ke kele, Story – 4

बीरबल और अकबर के केले – Akbar Birbal ki Kahani Kisse Kele, 4

एक बार बादशाह अकबर और बीरबल मे बहस हो गई की कौन सबसे ज्यादा केले खायेगा। तो बीरबल बोला जाहपना आप मुझसे शर्त मत लगाइए । आप हार जायेंगे । यह बात सुनकर अकबर को गुस्सा आ गया । अकबर ने बीरबल ने कहा तुम अपने आप को सबसे ज्यादा अकलमंद समझते हो । आज तुम्हारा मुकाबला मेरे साथ है। मुझको हराओ तो मै मान लूंगा की तुम सबसे बुद्धिमान और होनहार हो । यह बात सुनकर बीरबल मन ही मन मुस्काया और बोला ठीक है । जाहपना फिर मुकाबला हो ही जाए । फिर अकबर बोला लेकिन शर्त एक होगी.

बीरबल बोला कैसी सर्त बताए महाराज मुझे आपकी हर सर्त मंजूर है । आप आदेश दे। अकबर बोला मेरी सर्त यह होगी तुमको रबड़ के केले खाने होंगे और मै पेड़ पर जो लगते है । वो केले खाऊंगा । बीरबल बोला ठीक है । महाराज जैसी आप की इच्छा । लेकिन आपको मेरी भी एक शर्त माननी होगी जैसे आप अपनी मर्जी से पेड़ के लगे केले खाओगे वैसे मै भी अपने खुद के हाथो से बने रबड़ के केले खाऊंगा । अकबर हंसा और बोला ये भी कोई शर्त हुई । अगर तुम ये बोलते भी नही फिर भी। रबड़ के केले तुमको ही लाने थे । अकबर को केले खाना बहुत पसंद था ।

अकबर ने अपने दरबारियों को आदेश दिया । केले पेस किए जाए । सब दरबारी एक साथ बैठ गए और केले रख दिए गए । अकबर की शर्त के मुताबिक बीरबल को खुद के बनाए रबड़ के केले खाने थे । बादशाह अकबर ने केले खाने सुरू कर दिए । दो दर्जन केले खाने के बाद बादशाह ने बीरबल की तरफ देखा तो बीरबल चुप चाप बैठा हुए था । अकबर बोला क्यों बीरबल तुमने अपनी हार मन ली केले क्यों नही खा रहे हो । बीरबल बोला पहले आप खा लिजिए मैं अभी अपने केले बना रहा हू। तब तक तुम अपने केले खाओ। मुझको थोड़ा वक्त लगेगा आप अपनी केलो की गिनती कर लीजिए माहाराज आपको तो पता ही है वैसे भी मुझको रबड़ के केले खाने है।

अकबर ने कहा ठीक है । तुम अपने रबड़ के केले बनाओ मैं अपने केलो की गिनती कराता हूं। अकबर ने अपने एक मंत्री को आदेश दिया की जितने भी केले मैने खाए हैं तुम उनके छिलके गिनकर बताओ कितने हुए। मंत्री ने गिनती शुरू की तो अकबर के चालीस केले के छिलके हुए। अकबर ने बीरबल की तरफ हस्ते हुए देखा और बोला अब तो केले खाने शुरू करो मैं चालीस केले खा चुका हू या फिर हार मान लो ।
फिर क्या था इतना सुनते ही बीरबल ने अपने द्वारा पेंसिल से बने केलो को रबड़ से मिटाना शुरू किया।

यह देख अकबर बोला तुम ये क्या कर रहे हो । बीरबल बोला महाराज अपने द्वारा बने केले रबड़ से खा रहा हू । अकबर बोला वो कैसे बीरबल ने उत्तर दिया महाराज शर्त के मुताबिक आप ने कहा था मुझको रबड़ के केले खाने है । लेकिन मैने आपसे एक शर्त रखी थी की वो केले मै खुद बनाऊंगा। आप बोले ठीक है । तो मैंने सौ केले पेंसिल से बना लिए हैं अब मैं इनको रबड़ से मिटान के फुक मार कर खा रहा हू…!

akbar birbal ki kahani in hindi
akbar birbal stories in hindi – badshah akbar ka shikar, Story – 5

बादशाह अकबर का शिकार – Akbar Birbal ki Kahani Shikaar, 5

एक दिन बादशाह अकबर वेश बदल कर जंगल में बिना किसी को बताए शिकार करने के लिए निकल निकल गए । लेकिन इस बात का पता बीरबल को चल गया था। बीरबल भी चुपके चुपके बादशाह अकबर के पीछे पीछे चल दिया । बादशाह को यह बात पता नही थी। की बीरबल भी उनके पीछे पीछे आया है। शिकार को तलाशते हुए बादशाह अकबर काफी दूर निकल चुके थे ।लेकिन उनको कोई भी शिकार नही मिल सका । बादशाह अकबर को काफी समय के बाद जंगल से एक शिकार के कोतुहल की आवाज सुनाई पड़ी ।

बादशाह ने अपनी बंदूक उठाई और निशाना लगाया । तो बादशाह की नजर एक गीदड़ पर पड़ी । गीदड़ को देखकर बादशाह अकबर को बहुत गुस्सा आया। बादशाह को लगा कोई बड़ा जानवर होगा और मैं उसका शिकार कर लूंगा । क्योंकि शिकार को ढूंढते ढूंढते सुबह से शाम होने को आई । और अभी तक एक भी शिकार नहीं हो सका था । बादशाह अकबर सोच रहे थे यदि मैं अपने साथ किसी मंत्री या बीरबल को लेकर आता तो निश्चित ही आज वो मेरा मजाक उड़ाते ।

बादशाह अकबर शिकार को तलाशते हुए काफी थक चुके थे। फिर वो थकान और भूख प्यास से व्याकुल हो एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए । तभी वहा से एक चुहिया गुजर रही थी । उस चुहिया को ठिठोली सूझी । वह थके हुए बादशाह अकबर के पैरो में चिपट गई । बादशाह नींद मे थे उन्हको लगा कही कोई साप तो नही आ गया है। उन्होंने आव देखा ना ताव झट से उछल कर जैसे ही अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका तो वह चुहिया के सिर पर लग गया और वह वही पर मर गई। जिस पेड़ के नीचे बादशाह अकबर बैठे हुए थे । उसी पेड़ के ऊपर बीरबल भी बैठा जो यह सब देख रहा था.

बीरबल तुरंत पेड़ से नीचे उतरा और हंसते हंसते बोला बादशाह ने चुहिया का शिकार कर लिया है । आखिर आज का दिन सफल हो ही गया । महाराज आपने घर जाने से पहले अपना शिकार कर लिया । चलो अब मैं इस चुहिया को महल में लेकर चलता हू। जब महारानी जी आपसे पूछेंगी की आज सुबह से कहा थे तो आप बता देना ।मैने आज सबसे खतरनाक जानवर का शिकार किया है। अकबर को बीरबल की यह बात सुनकर गुस्सा आ गया ।

और बोला तुम मेरा मजाक बना रहे हो तुमको इसकी सजा अवश्य मिलेगी । बीरबल बोला महाराज लेकिन मैने कोई ऐसा काम नही किया है। जिससे मैं सजा पाऊं। वास्तव मे आपने एक बड़े ही खतरनाक जानवर को मारा है। इनका शिकार कोई और नहीं कर सकता है। ये हमारी प्रजा को परेशान करते है उनका सारा अनाज दाल चावल सब कुछ खा जाते है। आपने अपनी प्रजा के हित के लिया शिकार किया है।जो की एक राजा का फर्ज होता है । बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह अकबर खुश हो गई।और अपने महल को खुशी खुशी वापस लौट आए…!

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akbar birbal ki kahani video – birbal ki chaturayi

FAQ

अकबर और बीरबल की सबसे अच्छी कहानी कौन सी है?

अकबर और बीरबल के किसी भी कहानी की लोकप्रियता और अच्छाई का निर्धारण समय के साथ बदल सकता है। कुछ प्रसिद्ध “अकबर और बीरबल” कहानियां निम्नलिखित हैं:
बादशाह भी नौकर है” 1
बीरबल की बकरी और आम” 2
बादशाह अकबर का शिकार” 3

राजा बीरबल और अकबर कौन है?

अकबर: मुग़ल सम्राट जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर (1542-1605) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे. बीरबल: महेशदास भर्ती जिन्हें बाद में “राजा बीरबल” के नाम से जाना गया, भी अकबर के नजदीकी सलाहकार थे

अकबर को बीरबल से प्यार क्यों था?

बीरबल एक बहुत चतुर और बुद्धिमान व्यक्ति थे। उनके बुद्धिमान उत्तर और अद्भुत विचारधारा ने अकबर को प्रभावित किया था । बीरबल ईमानदार, नेक, और सच्चे सज्जन थे। उनका व्यवहार और आचरण अकबर को प्रभावित करता था

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